Essay on kabir das in hindi
Kabir das ka jivan parichay
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कबीर
| संत कबीर | |
|---|---|
सन् १८२५ की इस चित्रकारी में कबीर एक शिष्य के साथ दर्शित | |
| जन्म | विक्रमी संवत १४५५ (सन १३९८ ई ० ) वाराणसी, (हाल में उत्तर प्रदेश, भारत) |
| मौत | विक्रमी संवत १५५१ (सन १४९४ ई ० ) मगहर, (हाल में उत्तर प्रदेश, भारत) |
| उपनाम | कबीरदास,कबीर साहेब |
कबीरदास या कबीर ,कबीर साहेब 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे।[1] कबीर अंधविश्वास, व्यक्ति पूजा , पाखंड और ढोंग के विरोधी थे। उन्होने भारतीय समाज में जाति और धर्मों के बंधनों को गिराने का काम किया। वे भोजपुरी साहित्य के भक्तिकाल के निर्गुण शाखा के ज्ञानमार्गी उपशाखा के महानतम कवि थे। इनकी रचनाओं ने उत्तर और मध्य भारत के भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया। उनकी रचनाएँ सिक्खों के गुरुग्रंथ,आदि ग्रंथ में सम्मिलित की गयी हैं।[2][3] वे एक सर्वोच्च ईश्वर में विश्वास रखते थे। उन्होंने सामाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास की निंदा की और सामाजिक बुराइयों की कड़ी आलोचना की।[2][4] उनके जीवनकाल के दौरान हिन्दू और मुसलमान दोनों ने उनका अनुसर